गुरुवर तेरे "नलिन"चरण,मुझको सदा लुभाते
जैसे मधु पाने की खातिर भौरें,पुष्प-पुष्प मंडराते।
गुरु रज पान बड़ा कठिन है माया जग में चलते
लेकिन कृपा यदि हो जाए,पूरे सपने होते।
तुझको पाने की चाहत,यदि हो गहरी हममें
हर मुश्किल मिट जाएगी,दर्शन होंगे पल में।
रोम-रोम पुलकेगा तेरा,फिर तो उसके आने से
एक बार बुला के देख,"नलिन"उसे तू भाव से।
हरी ओम तत् सत्
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