16 जुलाई 2016 कर्क संक्रांति के शिव-पार्वती विवाहोत्सव पर
भवानी-शंकर,प्रथम प्रकृति पुरुष हैं सकल सृष्टि में
करुणानिधान मात-पिता सबके ही सम्बन्ध में।
सौम्य दिनकर प्रवेश करते जब कर्क राशिचक्र में
शिव बंधते शिवानी संग लीला हेतु परिणय सूत्र में।
आषाढ़ माह के मेघ करते नृत्य प्रबल उल्लास में
दामिनी दमकती वेग से नूपुर बन उनके पग में।
मोर,पिंगल,दादुर सभी होते हर्ष अतिरेक में
ताल-पोखर,नदी,जलाकर सब उमगते उफान में।
श्रद्धा-विश्वास होता जब विवाह हृदयांगन में
सृष्टि के रहस्य गूढ़ खुलते सभी प्रत्यक्ष में।
शिवोहम का भाव लिए विचरते फिर संसार में
माय के नागपाश से छूटते तत्काल हम सहज में।
भूत,प्रेत,पिशाच दुर्गुण सभी होते अपने वश में
तारकेश दिव्य मन्त्र राम पाकर झूमते कैवल्य में।
No comments:
Post a Comment