साईं के अलावा मुझे किसी की परवाह नहीं है
अलहदा हूँ सबसे अगर तो ये गुनाह नहीं है।
साईं तो हैं यूँ हर किसी के भीतर मगर
कहोगे अगर तो मुझे भी इंकार नहीं है।
बात सीधी सरल है थोड़ी समझो अगर
यूँ मुझे खुद की भी ज़रा परवाह नहीं है।
रोशन तो हैं सितारे एक से एक बढ़कर मगर
सूरज के आगे किसी की भी बिसात नहीं है।
आस्ताने से जिसे मिलता हो उसका वरद हस्त
सिर कहीं और उसे झुकाने की जरूरत नहीं है।
तुम भी वही,हम भी वही मनो यूँ ही अगर
फिर कहीं दिल लगाने की जरूरत नहीं है।
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