साईं- साईं नित नाम रटो ,ये ही जीवन सार
जनम-जनम का पुण्य फल मिलता हे साकार।
साईं नाम की महिमा अविगत,अकथ,अपार
जो जापे इस नाम को,उसका हो उद्धार।
एक भरोसो एक बल,एक आस विश्वास
साईं में जब मन रमा तो पूरे सब प्रयास।
मन,बुद्धि,विवेक,बल सब से लगे न कुछ हाथ
जब तक साईं दरबार में झुके न तेरा माथ।
साईं दिव्य कृपा हस्त से मिटता है अज्ञान
गूंगे के मुख भी होता वेद ऋचा का गान ।
प्रकृति के हर कण-कण में बसता साईं राम
मात्र शुद्ध,सूक्ष्म भाव से दे दर्शन अभिराम।
डोर जो अपनी सौंप सको तो,सौंप दो उसके हाथ
वर्ना जीवन व्यर्थ जायेगा,लगे न कुछ भी हाथ।
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