Thursday 28 November 2019

279:गजल-जब तलक हम

जब तलक हम बच्चे होते हैं।
सच कहूँ बड़े भोले होते हैं।।
उम्र बढ़ती जाए जैसे-जैसे।
हम और-और खोटे होते हैं।।
दुनिया का है दस्तूर पुराना।
हर भले काम रोड़े होते हैं।।
लाख इल्मो हुनर चाहे संजो लें।
कभी तो दाँव सारे उल्टे होते हैं।।
"उस्ताद"न कहो दर्द किसी से।
जख्म तब और भी गहरे होते हैं।।
@नलिन#उस्ताद

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