जब भी देखता हूँ मैं खुद को आईने में।
पूछता हूँ उससे तुम कौन हो आईने में।।
बड़ी भोली सी सूरत सादगी भरा मिजाज।
शातिर से यार दिखते नहीं तुम तो आईने में।।
करीने से किया मेकअप तिलिस्म सा जगाता।
यूँ किस को बरगला रहे हो बताओ आईने में।।
जो हुआ सो हुआ भूल जाओ बीती बातों को।
जरा खुद से नजरें तो अब मिलाओ आईने में।।
वो तो मासूम सा बस दिखा रहा हकीकत।
"उस्ताद" यूँ पत्थर तो न फेंको आईने में।।
@नलिन#उस्ताद
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