कलियुग की रामलीला
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मुँह फैलाए बैठे हैं केकई,मंथरा तो जरा परवाह नहीं।
जायेंगे वनवास श्रीराम इस बार तो कतई नहीं।।
दशशीश की जहां तक बात है तो ये भी जान लो।
मर रहा वो तो कूटनीति से ही इसमें रहा संदेह नहीं।।
माननीय तो असल में है बस जनता-जनार्दन जनाब।
जो लाटसाहब बनेंगे ज्यादा तो उनकी भी है खैर नहीं।।
नए निजाम की है हर बात सौ फ़ीसदी पटरी पर चल रही।
अब ज्यादा तीन-पाँच मक्कारों की देर तक चलने वाली नहीं।।
बाली,सुबाहु,मारीच आदि सब राम-पक्ष में हैं लड़ रहे।
अमृत भी नाभि-कुंड लंकेश के,लवलेश अब बचा नहीं।।
यूँ हिम्मत तो नहीं जो विभीषण आ रहे थोक के भाव में।
पर नजर तो होगी रखनी जिससे हो गफलत कोई नहीं।।
हनुमान ने इस बार भी पराक्रम अतुल्य- अद्भुत दिखा दिया।
राक्षसों से सब विषैले साँप मारे और गदा भी चलाई नहीं।।
राम तो राम ठहरे;लखन,भरत,शत्रुध्न सब हैं वीर जोश से डटे हुए।
करने साकार रामराज,कटिबद्ध जन भी अब दिखते पीछे नहीं।।
सबके साथ विश्वास से होगा निश्चय ही नया विकास अब देखना।
आना स्वर्ण युग का आर्यावर्त में लगता अब नामुमकिन नहीं।।
@नलिन#तारकेश
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