थोड़ा बनाकर फासला चलो।
खुद को तुम अब भुला चलो।।
बहुत हुई मौज मस्ती यहाँ।
समेट ये सब तमाशा चलो।।
राह जाती है जो उसकी दर पर।
कदम उस तरफ तुम बढा चलो।।
देर-सबेर की है बात नहीं कुछ।
खुद को बस तुम बहला चलो।।
दरिया,तूफां तो सब मिलेंगे सफर में।
मगर हौंसला बुलन्द तुम बढ़ा चलो।।
कहेगा हर कोई कुछ ना कुछ तुझे।
सुन"उस्ताद"की बस सदा चलो।।
@नलिन#उस्ताद
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