महज एक कदम प्यार का चला हूँ मैं।
सो कहाँ अभी खुद से ही मिला हूँ मैं।।
लगाकर हजार मुखौटे चेहरे में अपने।
असल ये जिंदगी कहाँ जी सका हूँ मैं।।
कहने को कहा था तेरे बगैर न जिऊँगा।
तुझसे बिछुड़ के मगर कहाँ मरा हूँ मैं।।
जो दिख रहा हूँ मंजिल पर सलामत।
सो गर सच कहूँ हजार बार गिरा हूँ मैं।।
प्यार का उन्मान*पढ़ा था कि थोड़ा सब्र रहे।*माप/नाप
सो अब तलक मौत के सामने जिंदा हूँ मैं।।
यूं तो देखा है"उस्ताद"आईना कई बार।
बस कभी-कभार एक झलक दिखा हूँ मैं।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Sunday 25 August 2019
गजल-215 एक कदम चला हूँ मैं
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