Tuesday 11 August 2015

340 - राम-रमैया, नाच-नचैया,ता-ता थैया



राम-रमैया 
नाच-नचैया 
ता-ता थैया
ता-ता थैया।
जिसको जैसा नाच नचाए
 वैसा ही वो नाचे भइया। 
राम-रमैया  ....... 
भेद तो अपना वो ही जाने
 ऐसा नटखट बाल कन्हैया। 
राम-रमैया   …… 
कभी पकड़ कर अंग लगाये 
छन में ओझल,मेरी दइया। 
राम-रमैया   …… 
आँख मिचली बस अब और नहीं अब
 तुझको सौं है,पकडूँ मैं पैयाँ। 
राम-रमैया   ……
तेरी मोहक,बांकी चितवन पर 
पल-पल मैं नित लेउँ बलैयां। 
राम-रमैया 
नाच-नचैया 
ता-ता थैया
ता-ता थैया।

















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