Friday 7 August 2015

339 - राम तुम मनमीत बनो

राम तुम मनमीत बनो
मेरी अब तुम प्रीत बनो।
जीवन की हर लय में
तुम मेरा संगीत बनो।
चाहे कुछ विषाद रहे
या मन उल्लास रहे।
सांसों में  तुम प्राण भरो
जीवन में सत्यार्थ भरो।
हर छन,हर पथ साथ रहो
ध्यान में मेरे सदा रहो।
उर का दृढ विश्वास बनो
मेरे तुम मनमीत बनो।

No comments:

Post a Comment