राम रटन कर ले मनवा
राम रटन कर ले।
जीवन घट जाने कब रीते
राम सुधा रस पी ले।
साँझ सकारे,भोर,मध्य में
सुधि राम की ले ले।
खाते-पीते,हँसते-रोते
ह्रदय ओट तू कर ले।
जैसा मन भाव बसे बस
राम रूप तू लखि ले।
कुछ न सोच पागल मनवा
राम-राम बस कर ले।
उलटे-सीधे,मन-बेमन से
राम चरण रति को जी ले।
दग्ध-तिक्त जीवन विष के बदले
राम नाम पर मर ले।
राम रटन कर ले मनवा
राम रटन कर ले।
No comments:
Post a Comment