Friday 7 November 2014

252 -निज बुधिबल भरोस मोहि नाहीं

निज बुधिबल भरोस मोहि नाहीं , ताते विनय करउ सब पाहीं। १/८

यद्यपि हूँ मैं पातकी तो भी छल प्रपंच से
हाथ जोड़ हूँ खड़ा मुक्त होने के लिए।


पूरी कायनात  से विनम्र हो सद्भाव  से
करता हूँ मैं प्रार्थना स्नेह प्यार के लिए।

दुआ करें ये सभी मेरी खातिर रब से
लायक बना ले वो मुझे अपना होने के लिए।

वरना  तो कहाँ बच पाउँगा इन हालात से
सो करना मदद सभी मेरे जीवन के लिए।

खुद पर यकीं नहीं मुझे एक  बार से
अनुनय तभी तो है आपसे अपने लिए।


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