माँ शारदा
☆☆☆☆☆ॐ☆☆☆☆☆
साहित्य,संगीत,कला की अप्रतिम त्रिवेणी।
हृदय में बहती हमारे जब भी ये निर्झरिणी।।
तन-मन-आत्मा बनती तब देखो नारायणी।
रास-मोद थिरकती फिर संग वो चक्रपाणि।।
इंद्री सब संकुचित,शिथिल मूक होती वाणी।
क्या कहे,कैसे कहे उस क्षण की दशा प्राणी।
अवस्था,नव-अबूझी परे सत,रज,तम गुणी।
दर्शन परम अलौकिक सप्तलोक आरोहिणी
आनंद परमानंद की बहे रसधार कल्याणी।
सुध-बुध खो सरलता से पार होती वैतरणी।।
सहज समाधि उस क्षण चमकती नीलमणी।
त्रिकुटी निमॆल प्रकाश बने प्रत्यक्ष धारिणी।।
नाद ओंकार गूंज,गूंजती तारकेश विलक्षणी।
भावविह्वल कृपा अभिसिंचित हे मां ब्रह्माणी
@नलिन#तारकेश
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Thursday 27 June 2019
मां शारदा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment