सामने मेरी जो तारीफ करते हैं।
पीठ पीछे वो सदा वार करते हैं।।
मत सताना किसी गरीब को तुम।
आह में अपनी वो असर रखते हैं।।
हकीकत में तब्दील हुए सपने उनके ही। हारकर भी जो नहीं कभी हार मानते हैं।।
दिया है हुनर खुदा ने यहां सब को ही।
जाने क्यों दूसरों से हम रश्क करते हैं।।
प्यार हो तो बताने की जरूरत नहीं।
दिल हमारे खुद-ब-खुद धड़कते हैं।।
जाति,मजहब देख होता इंसाफ अब।
शहरे काजी यहां सब अंधे बसते हैं।।
होंठ सीकर देखते खून,बलात्कार।
आलिम* यहां मौकापरस्त रहते हैं।।*ज्ञानी
याद रखती है आवाम तारीखें।
डायरी कहां फकीर लिखते हैं।।
"उस्ताद"करेंगे याद वही तुमको।
आज जो तुम पर तंज कसते हैं।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Friday 7 June 2019
159-गजल
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