Thursday 27 June 2019

176-गजल

ज़ख्मी दिल की हमारे तुरपाई हो गई।
उनसे जो उलफत*भरी सगाई हो गई।।*प्रेम
गुफ्तगू कहां अभी तो मिले भी न थे।
जाने कहां से ये बीच तनहाई हो गई।।
ये इश्क नहीं हमारे बस का हुजूर जरा भी। सौदागरी तो आज इसकी कमाई हो गई।। सितारों का खौफ दिखाकर लूटना।
चलन में अजब ये पंडिताई हो गई।।
हर किसी को आज तो खुद से है मतलब। रिश्ते-नातों की बात एक बेहियाई हो गई।। लीक-लीक चलने की कभी आदत न रही।
उस्ताद परवाह किसे जो जगहंसाई हो गई।।
@नलिन#उस्ताद

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