आसमां मुट्ठी में उसने सारा कर लिया।
रचा इतिहास कारनामा न्यारा कर लिया।। कानी अंगुली पर्वत सी पीर उठा ली।
जीने का गजब यूं सहारा कर लिया।।
लाचार मां-बाप अपने भारी लगने लगे तो।
भाइयों ने जड़ों का ही बंटवारा कर लिया।। मुफलिसी का जहर उसने हर घूंट पिया।
उफ न कर हंसते हुए गुजारा कर लिया।। हकीकत से रूबरू खुदा ने किया जब।
दुनिया से उस्ताद ने किनारा कर लिया।।
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