दिल तो हमारा
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यूँ दिल तो हमारा ता-उमर भटकता है।
सिर चढ़ाने से पर और भी बिगड़ता है।।
करो अनसुनी अगर तो रोने लगता है।
धीरे-धीरे सही पर फिर ये समझता है।।
क्या है मुश्किल कहो उसके लिए कुछ।
सदा बस में जिसके भी रहा करता है।।
जिद तो इसकी तुम चुपचाप देखा करो।
थक-हार ऑखिर ये भी सुधर जाता है।।
हथेली में चाहे उगा दे कभी भी सरसों।
ख्वाबों को हमारे हकीकत बना देता है।।दिल जो सध जाए तो मुश्किल है क्या।जमाना तो फिर उसका मुरीद होता है।।
सुख,दुःख कहाँ फिर उसे हलकान करें।
बन के"उस्ताद"वो तो बस थिरकता है।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Monday 24 June 2019
174-गजल
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