गजल तराशना,मढना कहां आसान होता है।
दर्दे फसल काटना भी एक इम्तिहान होता है।।
वो जो आएं दूर गली पर हमारी बिन बताए।घर बैठे हमें सब हाल दिले जुबान होता है।।
उनके हमारे बीच की राजदारी वो भला क्या समझेंगें।
तमाशाबीनों को कहां मयस्सर पढना ये दीवान होता है।।
आफताब सहेजते हैं जो घर के कोनों में तदबीर से।
तकदीर का हरकारा तो उन पर मेहरबान होता है।।
आशिक की आंखों में जो नूरे काजल सा है जगमगाए।
"उस्ताद"आसां कहां बांचना वो इश्के उनमान होता है।।
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