कहना दिलाई आजादी हमें उसने है जहालत और भी।
बिना खूं खराबे भगा दिए सारे दुश्मन ये तो शरारत और भी।।
जड़ें उस दरख्त की गहरी दबी हैं ये जान लो दूर तक।
खोखली हो ढहने में लगेगा तभी तो वक्त और भी।।
दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा एक रोज देखना।
चिंता न करो खुलेंगी उसकी नापाक हरकत और भी।।
वक्त करता है इंसाफ हर छोटी बड़ी बात का खुद से।
रखो जरा तुम थोड़ा इत्मिनाने शिद्दत और भी।।
इतना सिर चढ़ाना कभी भी किसी को ठीक नहीं।
बेखौफ तभी तो करता है हर शख्स गलत और भी।।
हकीकते इतिहास लिखा ही नहीं दलाली धंसे हाथ ने।
वरना उधड़ती"उस्ताद झूठ की तुरपनें कुछ और भी।।
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Tuesday 28 May 2019
148-गजल
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