चाहत यही है तुझसे ना उठे कभी विश्वास मेरा।।
उचारूं नाम कुछ भी"हरि"पर रहे भाव सदा तेरा।।
तेरे एहसास से ही जब महक उठता है संसार मेरा।
क्या होगा हाल मेरा जब करूंगा मैं साक्षात्कार तेरा।।
जाने कितने जनम की साधना से खुलेगा ये भाग मेरा।
यूं क्षणिक भी विलंब अब है बड़ा खटकता तेरा।।
भटकते हुए उमर बड़ी बीत गई जाने मिटेगा कब संताप मेरा।
थके कदम,बुझे मन से भला कब हुआ किसी को दर्शन तेरा।।
सो चाहता हूं बस बना रहे उत्साह-उल्लास यूं ही मेरा।
तू तो है सदा का करुणामयी मिलेगा कभी तो आशीष तेरा।।
खिलेगा हृदय सरोवर एक दिन निर्मल "नलिन" अवश्य मेरा।
जिसमें विराज कर खिलखिलायेगा "तारकेश"स्वरूप मस्त तेरा।।
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Wednesday 15 May 2019
विश्वास मेरा
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