यूं तो यहां हर कोई दिखता परेशान है। गनीमत कि कुछ के लबों में मुस्कान है।।
सिर से पांव करते हैं बस लोग मुआयना आपका।
करना आदत में शुमार सबकी लिबास से पहचान है।।
बद से बदतर है जब सूरते हाल गरीब की। इंसाफ का भला बता ये कैसा उनमान है।। रहो सब के साथ फिर भी मस्त तन्हा रहो। खुशहाल जिंदगी की यही तो पहचान है।।पल में फिसलती है पारे सी जिंदगी हाथ से।
जाने भला क्यों मगर तुझे इस पर गुमान है।। पकड़ हाथ मंजिल दिला सकता नहीं कोई।
बढ कर कदम चूमना तो तूने ही सोपान है।।किस-किस की खातिर करें दुआ"उस्ताद" हम।
हर शख्स तेरे शहर का तो बड़ा हलकान है।।
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Wednesday 15 May 2019
139-गजल
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