वो जिसे हम पसन्द करते हैं
वो पात्र,घटना,स्थिति
हमसे ज्यादा देर तो नहीं
खेल सकती आंख मिचौली
उसे तो साकार होना ही होता है
वाकई ये बात हंसी ठठ्ठा नहीं
पत्थर की लकीर ठहरी।
हां बस शतॆ है इतनी ही
पसन्द हमारी होनी चाहिए
पूरी शिद्दत से, दिल से
ठोस,भरी-पूरी।
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