6April 2019 भारतीय नववर्ष का श्रीगणेश
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भारतीय संस्कृति के उन्नत ललाट पर चंदन- वंदन हो रहा।
शुभागमन नव-संवत परीधावी का अभिनंदन हो रहा।।
रितु वसंत कलरव कर रही वन-उपवन डाली डाली।
मार्तंड मीन राशिचक्र सजग,सज्ज नवसृजन हो रहा।।
ध्वज-पताका केसरिया फहर रही मन-मंदिर के धवल शिखरों पर।
देखो वीणा के तारों पर उल्लासित मृदुल-मदिर आचमन हो रहा।।
जन-जन नव परिधान आकंठ मगन नवरंग अद्भुत कुसुम खिले।
पथ सजे बंदनवार,गली-गली सुगंधमय गुलशन हो रहा।।
नृप शनि,मंत्री रवि,सस्येश मंगल बन नवग्रह स्वभूमिका ले रहे।
देश-विदेश काशी से क्योटो तक नमो-नमो हर घर-आंगन हो रहा।।
सबका साथ-सबका विकास,निर्मल "नलिन" शुभ्र खिलने लगा।
नामुमकिन था जो रामराज्य कलियुग भी वो
अब मुमकिन हो रहा।।
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