आसां तो नहीं था पर मैंने इश्क किया।
जीना था भरपूर सो उससे इश्क किया।।
उसमें मैंने खुद को पाया।
जब जाना तो इश्क किया।।
वो साथ रहा है मेरे हरदम।
फिर तो होना था सो इश्क किया।।
हंसते-रोते उससे मैंने।
बस मन-बेमन से इश्क किया।।
जहां भी देखूं वही है दिखता।
सो सब से ही मैंने इश्क किया।।
यूं तो सच है "उस्ताद"यही।
उसने ही मुझसे इश्क किया।।
@नलिन #उस्ताद
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