गंगा,यमुना,कावेरी अविरल बहें नदियां सभी
आओ लें संकल्प तन-मन से आज हम सभी।
नदियां,पर्वत,जंगल,मैदान धरती पर जितने सभी
प्राणों का प्रवाह करते हैंजनमानस में मिल सभी।
जहाँ-जहाँ नदियों की अमृत रसधार है बहती
खिलखिलाती हरियाली समृद्धि की नित बहती।
कूड़ा,कचरा,मल,मूत्र जो गिरता है इनमें सभी
रोक यदि हम इसको लेंगे तो होंगी जवान सभी।
घाट-घाट सुंदर होँगे और वातावरण सब ओर सुखी
बज उठेंगे जन-मन-गन के तार सब ह्रदय रहें सुखी।
आओ फिर क्यों विलम्ब करें श्री गणेश करें हम सभी
जीवनदायी नदियों की रक्षा करना कर्तव्य पुनीत सभी।
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