नोटों का जखीरा कातते चरखा चुप रहा
गाॅधी भी मगर जेब में तुड़ा-मुड़ा चुप रहा।
गाॅधी भी मगर जेब में तुड़ा-मुड़ा चुप रहा।
किताबें पढ़ उसे इतनी जेहनीयत आ गयी
झूठ का वो नंगा नाच देखकर भी चुप रहा।
झूठ का वो नंगा नाच देखकर भी चुप रहा।
खादी में खांटी नेता छिछोरेपन में आ गया
भारत का आवाम मगर हताश हो चुप रहा।
भारत का आवाम मगर हताश हो चुप रहा।
चेहरे पर मुखौटे लगा सूरत बदल लेता है
तेवर आदम के देख गिरगिट बस चुप रहा।
तेवर आदम के देख गिरगिट बस चुप रहा।
जो सिखायी तालीम शागिर्द उसे भूल गया
"उस्ताद"नयी रवायत पर भौचक चुप रहा।
"उस्ताद"नयी रवायत पर भौचक चुप रहा।
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