साई बोलो , कुछ तो बोलो
अब तो अपने लब तुम खोलो।
जनम- जनम से प्यास अधूरी
अब तो साई अमृत घोलो।
बहुत थक गया, राह मैं तकते
अब तो शरण में मुझको ले लो।
रोते -रोते सूखे आंसू
अब तो ममत्व का आँचल दे दो।
माया -मोह मुझे हैं भाते
अब तो मेरी आँखे खोलो।
अब तो अपने लब तुम खोलो।
जनम- जनम से प्यास अधूरी
अब तो साई अमृत घोलो।
बहुत थक गया, राह मैं तकते
अब तो शरण में मुझको ले लो।
रोते -रोते सूखे आंसू
अब तो ममत्व का आँचल दे दो।
माया -मोह मुझे हैं भाते
अब तो मेरी आँखे खोलो।
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