प्रार्थना तो बहुत हुई
अब कृपा का वरदान दीजिये।
मेरे प्रभु श्रीराम अब तो
चरणों में स्थान दीजिये।
मैं दीन,हीन,मलिन मति
दुर्भाग्य को मिटाईये।
भग्न ह्रदय,सुरहीन गीत
अब और न भटकाईये।
अतृप्त "नलिन "नैन बस कर
भाग्य तो संवारिये।
अब कृपा का वरदान दीजिये।
मेरे प्रभु श्रीराम अब तो
चरणों में स्थान दीजिये।
मैं दीन,हीन,मलिन मति
दुर्भाग्य को मिटाईये।
भग्न ह्रदय,सुरहीन गीत
अब और न भटकाईये।
अतृप्त "नलिन "नैन बस कर
भाग्य तो संवारिये।
(y)
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