गुरुदेव सुन लो मेरी करुण पुकार
देखो खड़ा हूँ मैं कब से तेरे द्वार।
यद्यपि विनय बड़ी भोली है सरकार
तथापि भीतर तो है मल कि गठरी अपार।
तो भी तेरे आगे जो लगा रहा हूँ गुहार
जानता हूँ तू अवश्य लेगा मुझे उबार।
करुणा -निधान, वात्सल्य के अनुपम भण्डार
कहाँ गिनेगा तू भला मेरे दोष हज़ार।
तू तो सदा प्रस्तुत है करने मेरा उपचार
देकर मेरे ह्रदय को राम नाम आधार।
देखो खड़ा हूँ मैं कब से तेरे द्वार।
यद्यपि विनय बड़ी भोली है सरकार
तथापि भीतर तो है मल कि गठरी अपार।
तो भी तेरे आगे जो लगा रहा हूँ गुहार
जानता हूँ तू अवश्य लेगा मुझे उबार।
करुणा -निधान, वात्सल्य के अनुपम भण्डार
कहाँ गिनेगा तू भला मेरे दोष हज़ार।
तू तो सदा प्रस्तुत है करने मेरा उपचार
देकर मेरे ह्रदय को राम नाम आधार।
your writing art is amazing...it makes us feel proud at every step...grt going...
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