भारतीय नव विक्रमी संवत्सर २०७१-प्लवंग का शुभारम्भ ३१ मार्च ईस्वी २०१४ सोमवार से प्रारम्भ होगा। वर्ष का राजा व मंत्री चंद्रमा हैं। संवत का निवास वैश्य के घर और वाहन मृग है। घट या कलश स्थापन श्रेष्ठ समय ६:१६ से १० :२२ प्रातः या १२ से १२:५० दोपहर होगा। संवत का फल मिश्रित है। लाभ हानि चक्र देखने के लिए चन्द्र राशि से देखें।
राशि लाभ हानि
मेष ११ १४
वृष ०५ ०८
मिथुन ११ ०५
कर्क ०५ ०२
सिंह ०८ १४
कन्या ११ ०५
तुला ०५ ०८
वृश्चिक ११ १४
धनु ०८ ०५
मकर ०२ ०८
कुम ०२ ०८
मीन ०८ ०५
इस चक्र को देखने के लिए अपनी चन्द्र राशि के लाभ हानि के अंक जोड़ लें फिर उसमें से १ घटा कर ८ का भाग दें। अब यदि १ शेष बचे तो प्रबल धन लाभ , २- लाभ मध्यम पर शुभ स्थान में खर्च , ३-तो लाभ कम
अपव्यय अधिक , ४ - मानसिक तनाव , शरीर कष्ट , खर्चे , ५-लाभ कम , बेकार व्यय , ६ -भग्योनति , ७ -अकस्मात् धन लाभ , तथा ८ या ० शेष बचे तो लाभ कम ,रोग व्याधि अधिक। यद्यपि ये स्थूल फल है , पर लोकप्रिय है।
राशि लाभ हानि
मेष ११ १४
वृष ०५ ०८
मिथुन ११ ०५
कर्क ०५ ०२
सिंह ०८ १४
कन्या ११ ०५
तुला ०५ ०८
वृश्चिक ११ १४
धनु ०८ ०५
मकर ०२ ०८
कुम ०२ ०८
मीन ०८ ०५
इस चक्र को देखने के लिए अपनी चन्द्र राशि के लाभ हानि के अंक जोड़ लें फिर उसमें से १ घटा कर ८ का भाग दें। अब यदि १ शेष बचे तो प्रबल धन लाभ , २- लाभ मध्यम पर शुभ स्थान में खर्च , ३-तो लाभ कम
अपव्यय अधिक , ४ - मानसिक तनाव , शरीर कष्ट , खर्चे , ५-लाभ कम , बेकार व्यय , ६ -भग्योनति , ७ -अकस्मात् धन लाभ , तथा ८ या ० शेष बचे तो लाभ कम ,रोग व्याधि अधिक। यद्यपि ये स्थूल फल है , पर लोकप्रिय है।
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