श्रीराम,जानकी को हृदयासन में आप अपने विराजिये।
हो यदि हृदय मलिन,क्लांत,कलुषित तो भी न घबराए।।
सहज,सरल भाव से बस उनको सतत पुकारते रहिए।
त्वरित ही आएंगे सीता-रामजी विश्वास आप मानिए।।
यदि अब वो आ ही गए तो कौन दूषण रहेगा बताइए।आप होंगे निर्दोष,निर्मल निश्चित सत्यवचन ये जानिए।।
सृष्टिकर्ता परम प्रभु एकमात्र सीताराम हैं जब विचारिए। निष्कलंक पूर्णिमा के चंद्र सदृश आप तो बस मुस्काइए।।
उदार विरुदावली उनकी प्रतिश्वांस दृढ होकर उचारिए।
श्रीचरण युगल सरकार देंगे स्थान अवश्य धैर्य ये धारिए।।