लो आज का दिन भी अपना ज़ाया हो गया।
जुबां को नाम लेना खुदा का तौबा हो गया।।
उम्र बढ़ रही जैसे-जैसे सांसे घटने लगी हैं।
कर्जा ए जिंदगी इस कदर ज्यादा हो गया।।
वो आए नहीं हों चाहे अन्जुमन में अब तलक।
खबर सुनकर दिल खुशगवार अपना हो गया।।
चाय की प्याली तूफान है आ गया लगता कोई।
वर्ना क्या बात हुई जो आज वो बेवफ़ा हो गया।।
अपने दिलदार से जाने किस मोड़ मुलाकात हो।
जिस्म में "उस्ताद" तभी स़जायाफ़्ता हो गया।।
No comments:
Post a Comment