I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Friday 31 December 2021
गजल- 412: नववर्ष शुभारंभ 2022
Tuesday 28 December 2021
411:गजल- इनायते करम अपना तो फरमाइए
Monday 27 December 2021
410: गजल --हमें तो नींद आती
Sunday 26 December 2021
गजल 409 नशे में चूर हो गए
Saturday 18 December 2021
गजल:408 शिरकते महफिल
तू जानता है मेरे दिल में क्या कुछ धड़कता है।
मगर गजब है फिर भी मासूम बना फिरता है।।
बहलाने-फुसलाने की भी एक हद होती है यारब।
हर घड़ी मगर तू तो बहाना फासले का ढूंढता है।।
जाने कब से तेरी चौखट,सजदा किए बैठा हूँ मैं।
क्या करूं खत्म नहीं कभी तेरा इन्तज़ार होता है।।
ये सच है तेरे बगैर जिंदा नहीं मैं मुर्दा ही रहा हूँ।
हद है लेकिन तू तब भी मगर मौज पूरी लेता है।।
आ जो जाए दिल तेरा किसी की मासूमियत पर।
उसकी खातिर तू तो सारे अपने उसूल तोड़ता है।।
जाने कितने आए और चले गए "उस्ताद" यहाँ से।
शिरकते महफिल में अपनी कुछ खास ही चुनता है।।
@नलिन तारकेश
Friday 17 December 2021
गजल-407 :असल उस्ताद कहते हैं
Tuesday 14 December 2021
गजल- 406 :भोली नादानियां
भोली नादानियां हम भला अपनी किससे कहें।
समझ आयी नहीं ये दुनिया कभी किससे कहें।।
फिरते रहे जो तसव्वुफ़* हम सजाए हुए ख्वाबों में।*अध्यात्मवाद
वो रंगों में दिखी ही नहीं फाकामस्ती किससे कहें।।
हर शख्स यहाँ अजब गुमशुदा सा खुद में मिला।
गुल उगते ही नहीं यारों बंजर जमीं किससे कहें।।
खामोश हैं कोहरे की चादर लिपट रिश्ते सारे।
महकती नहीं इत्र सी हँसी कहीं किससे कहें।।
परेशां है "उस्ताद" मुस्तकबिल के लिए इनके।
शागिर्द नहीं कूवते फना दिखती किससे कहें।।
@नलिनतारकेश