संग कांटों के खुद ही लहूलुहान होगे।
रखो गुलों से ताल्लुक महक जाओगे।।
वह चाहता जो तुम्हें आता जरूर मिलने।
यूँ चाहत में सिसकियां कब तलक भरोगे।।
गुलशन,पहाड़,झरने बहुत कुछ है खूबसूरत यहाँ।
देखोगे तुम तभी मगर यार जब नजरिया बदलोगे।।
मिला है जो उसी में तसल्ली रखना सीखो।
यूँ तो वर्ना तुम हर कदम ही भटकते रहोगे।।
समझे "उस्ताद" अगर जो बेज़ुबां का दर्द।
निगाहें चार तुम परवरदिगार से कर पाओगे।।
@नलिनतारकेश
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