मोहे आई न जग से लाज
की इतना जोर से नाची आज।
कि घुंघरू टूट गए।
मैं बसी थी जिसके सपनों में।
है उसका भी घर लखनऊ में।
यूं ढूँढा मेट्रोमोनियल साइट कौन-कौन नहीं।
पर मिला मुझे वो घर के बगल में पास यहीं।
कि मेरा सेक्टर है 19 और उसका सेक्टर है 21।
तो सैटिंग हो ही गई।
जब जग में फैली थी महामारी।
हम करते थे जग के रत्याली।
वो था लॉकडाउन बेंगलुरु में।
और मैं करती वर्क फ्रॉम होम लखनऊ में।
पर बड़े मजे की रही ये बात।
प्रॉपर सिग्नल आते रहे हर बार।
की चैटिंग हो ही गई।
अब तो हर स्वप्न हकीकत है।
जब वो बैठा मेरे बगल में है।
मेरे हाथों में उसकी डोरी है।
अब तो ये मेरी कठपुतली है।
ये चाहे बने सीईओ कहीं।
पर मानेगा हर बात अब मेरी।
कि ये डील हो ही गई।
नलिन "उस्ताद "
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