आओ जिंदगी करके फना देखते हैं।
गमों को पी कर हम भी घना देखते हैं।।
वो करें या न करें जरा गौर हम पर।
हम तो बस उनका देखना देखते हैं।।
छोड़ो बेवजह की बहसबाजी देखना।
आओ परिंदों का चहकना देखते हैं।।
बातें तो ये बड़ी-बड़ी करते हैं हुजूर।
चलो जरा इन का अमल करना देखते हैं।।
सांप,नेवलों की लो हो गई जुगलबन्दी शुरू।
जल्द चुनाव बाद सुरों का बहकना देखते हैं।
नाम की चर्चा है माना बहुत नजूमी तेरी।
"उस्ताद" मुस्तकबिल तेरा बांचना देखते हैं।।
@नलिन #उस्ताद
No comments:
Post a Comment