शक्ति -शिव का यह पावन निवास-स्थान
कैलाशधाम है तीर्थ बड़ा,मंगल-महान।
श्रद्धा-विश्वास रूप में करते,जग में वो निवास
करते रहो ध्यान,मगन हो बस प्रत्येक सांस।
वट-वृक्ष नीचे विराज,संग उमा वामांग
सिंह,मूषक,नंदी-बैल और साथ सारंग*। *मोर
श्री गणेश शास्त्र लिखते,कार्तिकेय हैं शस्त्र रचते
माँ शैेलपुत्री -अन्नपूर्णा,शिव हैं कल्याण करते।
"तारकेश" कृपा-दृष्टि का जब होता अलोकिक मेल
जगत-सृष्टि का खुलता तब अबूझा समस्त खेल।
श्रद्धा,विश्वास,बुद्धि- कर्म,एकाग्र अभ्यन्तर छाता
"नलिन" उर निर्मल-निर्विकार,तब सदा हो पाता।
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