गुरुदेव श्री नख चरण तुम्हारे
कर देते निर्मल नयन हमारे।
तभी शीश धर चरण तुम्हारे
हम आते हैं हाथ पसारे।
पड़ी बिवाई पाँव तुम्हारे
दौड़-दौड़ जो भाग संवारे।
हम भी जाने निष्ठुर कितने
हर छन तुम्हें आवाज लगाते।
पर बजरंगी भोले मेरे
तुम भी कब हार हो माने।
सारे दुष्कर्म भुला हमारे
आ जाते हो हमें बचाने।
कर देते निर्मल नयन हमारे।
तभी शीश धर चरण तुम्हारे
हम आते हैं हाथ पसारे।
पड़ी बिवाई पाँव तुम्हारे
दौड़-दौड़ जो भाग संवारे।
हम भी जाने निष्ठुर कितने
हर छन तुम्हें आवाज लगाते।
पर बजरंगी भोले मेरे
तुम भी कब हार हो माने।
सारे दुष्कर्म भुला हमारे
आ जाते हो हमें बचाने।
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