हर पल मैं हारुँ जीवन में
हर छन बस तू ही जीते।
यही चाहता हूँ साईं तुझसे
और न इच्छा करुँ मैं मन में।
मेरा सोचा जो कुछ भी होगा
वो तो तीता-रीता होगा।
जो कुछ तू सोचे मेरे खातिर
वो ही सच्चा-मीठा होगा।
मैं चलूँगा खुद के बल से
तो थक जाऊँ कुछ ही पग में।
ले कर चले, हाथ पकड़ जो
सप्तलोक करुँ मैं सैर मजे में।
हर छन बस तू ही जीते।
यही चाहता हूँ साईं तुझसे
और न इच्छा करुँ मैं मन में।
मेरा सोचा जो कुछ भी होगा
वो तो तीता-रीता होगा।
जो कुछ तू सोचे मेरे खातिर
वो ही सच्चा-मीठा होगा।
मैं चलूँगा खुद के बल से
तो थक जाऊँ कुछ ही पग में।
ले कर चले, हाथ पकड़ जो
सप्तलोक करुँ मैं सैर मजे में।
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