235 - साईंमय हैं हम सभी
साईंमय हैं हम सभी
बस इसका आभास हो जाए।
बीच में जो पाली है
हमने खुद से
तेली की दीवार
वो ढह जाए।
बस फिर कहाँ है
दुःख,कष्ट,पीड़ा
हमारे जीवन जगत में।
सब तरफ तो है छाया
आनंद ही आनंद
मात्र परमानन्द।
जिसमें निमग्न हम
तिरते हैं हर छन सदा।
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