हम पहाडीन के अपुण सीधाई मार गई
सरकार जे ले बड़ी,सुधि बिसरि गई।
यू.पी,यू.के ज्येक ईजा-च्योल जे रिश्त छी
उनर बीच एक भल ट्रैन चलूंण में हाड़ काँप गई।
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ओल्ड इज गोल्ड अब जाओ भुल
कबाड़ में बेच दियो बडबाजु माल फुल
कबाड़ी जब बेच देओल ऊके मॉलन में
खरीदिया एंटीक पे दुगण दामन में।
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ठुल धोती,नान धोती को पुछड़ों यार
गाड़ में नंग छन सब मौ-परिवार
कोई दहेजा लिजी छोड़ दिनों अपुडी लुगाई
कोई अपुण खसम दगड करणे बेवफाई।
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यसी कुनि कान थें के नी सुणी
कान हमार पट्ट बंद है गयीं
उसी फुसफुशाट अपुण कामेकी
चट्ट सुन लीनी हमर यो बुड-बुडी।
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आध राति छौल बने हालो
हमनके कलियुगेल पुर
खाणोक,सितोड़क मन मर्जी हेरे
बाबू दगड घुटक लगुड़ों च्योल फुल।
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सेंडी बेग झगौड़ में
को फोड़ल अपुण कपाल
दिन में तना-तनी करणी
राती लगुनी एक दुहर के अंगुवार।
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