हजारों फूल खिले हुए हैं हर तरफ मेरे आशियाने में।
आओ तो यारों कभी लुत्फ उठाने मेरे आशियाने में।।
दर्द,तन्हाई से भीगा हो चाहे जितना भी आंचल तुम्हारा।
बहार करेगी इस्तकबाल खिलखिलाते मेरे आशियाने में।।
न धूप है कड़ी दोपहर की और न सर्द ठिठुरती रातें।अलहदा मस्ती ही सदा छाई दिखे मेरे आशियाने में।।
हैरत में पड़ जाओगे कसम से तुम देखना तो सही।
सांसो में घुलेगी हवा इतर बनके मेरे आशियाने में।।
ज़माने की हवाएं न छू सकी जिसे कभी लाख कोशिश पे।
शोख बच्चे सा मासूम वही "उस्ताद" रहे मेरे आशियाने में।।
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