बारिश में भीगने का लुत्फ भी गजब की अदा है।
बगैर भीग के मगर भीग जाना ये तो अलहदा है।।
पोर-पोर रिस कर जब जिस्म को छूती हैं बूदें हमें।
लिखना नहीं उसे तो महसूस करना ही कायदा है।।
काले हिनहिनाते बादल जब उफन के बरसते हों।
कूद के तभी तो घटाओं को चूमने का फायदा है।।
बिजली कड़के और होती हो धुआंधार बरखा।
दीगर उतारना सब शर्म ओ लिहाज का पर्दा है।।
जुगलबन्दी में जब लग जाता है सम बराबर से।
रूहानी सुकून मिलना तो सौ फ़ीसदी बदा है।।
कुदरत संग डूब कर दिलों को अपने धड़काते रहना।
जीने का जिंदगी "उस्ताद" यही तो खरा सौदा है।।
नलिनतारकेश@उस्ताद
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