मुद्दतों बाद हुई बरसात का चलो लुत्फ यूँ उठा लें।
आओ होठों से गर्मागर्म चाय की चुस्की लगा लें।।
एक ही बौछार में मौसम लो कितना बदल गया।
जो आओ यार करीब तो सारे फासले मिटा लें।।
हवाएं शोख हो गुनगुना रही हैं जो आज कानों में।
दामन में अपने वही गीत चलो कुछ हम भी भुना लें।।
आरजूएं जो रह गई वो भला क्योंकर दफन रहें भीतर।
पुराने जो रह गए हैं वो आज हम सारे हिसाब चुका लें।
बमुश्किल मन्नतों से हसीं मौसम आज की शाम आया है। निकालो तो "उस्ताद" साज सारे थोड़ा महफिल सजा लें।।
Bhot sundar🌻
ReplyDeleteअतिसुन्दर
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