राधाष्टमी की हार्दिक बधाई सभी भक्तों को
卐卐卐卐卐卐卐ॐ卐卐卐卐卐卐卐
कृष्ण को राधा ने जबसे आत्मरूप पूर्णतः स्वीकार कर लिया।
भक्त का अपने ऐसे प्रभु ने बनना सेवक स्वीकार कर लिया।।
अब तो राधा के बस भ्रू-विलास का ही अनुसरण करते हैं प्रभु जी।
जगन्नाथ होकर भी भक्त के इशारों पर नाचना स्वीकार कर लिया।।
अब बिना राधा के कहो कौन सुनने को तैयार है बाँसुरी श्याम की।
कृष्ण को ही जब से राधा ने अपना प्राणाधार स्वीकार कर लिया।।
हंसी,ठिठोली या रूठ कर जिद खुद को मनाने की करती हों राधारानी।
कृष्ण ने बेहिचक हर प्रस्ताव राधा का चुपचाप से स्वीकार कर लिया।।
मृदुल "नलिन" चित्त भक्तों को जबसे ब्रजेश्वरी का ज्ञात ये सामर्थ्य हुआ।
कृष्ण को छोड़ सबने तबसे ही राधा को अपना भगवान स्वीकार कर लिया।।
।। जय जय श्री राधे ।।
No comments:
Post a Comment