यार के दीदार को जब लगन सच्ची लग जायेगी।
कहो कौन सी भला चट्टान जो तुझे रोक पायेगी।।
प्यार तो है मासूम शय* गुलों से भी ज्यादा मुलायम।*वस्तु
जो आए अपने पर तो देखना यही सब को डरायेगी।।
हैं राहें रपटीली बड़ी जो मंजिल को उसकी तरफ जातीं। रखना हर कदम को फूंक-फूंक वरना तुझे यही गिरायेंगीं।
पत्थरों को भी जैसे लहरें छूकर बना देती हैं शालिग्राम*। जज्बात निकले दिल से गहरे तो किस्मत गले लगायेगी।।
*भगवान
चाह के तो देखिए पूरी शिद्दत से एक बार उसे"उस्ताद"। कायनात भी भला कहाँ आपकी हसरत ये रोक पायेगी।।
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