Thursday 17 October 2019

गजल-256:घुट-घुट के

घुट-घुट के यूँ न आप जिया कीजिए।
कहीं न कहीं तो दिल लगाया कीजिए।। नादानी में भी छुपी है कुछ बात बड़ी।
बच्चों से ये जरा सीख लिया कीजिए।।
बहुत बदल गया है ये जमाना हुजूर।
जरा चश्मा तो अपना नया कीजिए।।
पेशानी में बल क्यों पड़ते हैं आपके।
लबों को कभी तो खिलाया कीजिए।। जमाना दिखता है आप जैसा देखना चाहें। खुद का दामन तो कभी टटोला कीजिए।।
"उस्ताद"दो घड़ी की है ये जिंदगी केवल।महकिए और सबको महकाया कीजिए।।
@नलिन#उस्ताद

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