Sunday 1 March 2015

ग़ज़ल-89

मुझे हर घड़ी क्यों ख्याल तेरा बना रहता है।
जबकि मुझसे तू अक्सर नाराजगी ही रखता है।। 

कारवां वक्त का कब ठहर जाए किसी के लिए।
दिल में डर तो अब यही सदा बना रहता है।।

चन्द सिक्के हलक में डाल कर कोई भी।
काम मुश्किल अब आसान बना सकता है।।

दूर-पास का फासला अब कहाँ रहा कोई।
हर वक्त,सदा कोई ऑनलाइन दिखता है।।

"उस्ताद" हुनर को तुम्हारे पूछता कौन है।
अब तो गूगल ही सच का निज़ाम-ए-देवता है।। 

@नलिन #उस्ताद 

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