लो सब जन रंग लो,तन-मन अब कि इस होली में।
उड़ रहा मदमस्त,अबीर-गुलाल चहुंओर फागुन में।।
कोई गली भी विचरो,पाओ खुद को तुम वृंदावन में।
युगल-सरकार,श्याम-श्यामा,चहुंओर दिखें फागुन में।।
गोपी-ग्वाल गलबहियां डाले,सब झूमें एक मस्ती में।
ता-ता थैया नाचे मिलजुल देखो ,चहुंओर फागुन में।।
धूम मची है देखो कैसी,नंद के आंगन सी,घर-घर में।
खुद को पहचान सके फिर कौन,चहुंओर फागुन में।।
ढफ,मृदंग बोल पड़े,मधुर माखन से जब,कानन में।
बोलो कौन रहे,अछूता अबकी,चहुंओर फागुन में।।
सटे कपोल करें रसभरी बतियां,राधेश्याम ज्यू आपस में।
नलिन खिले केसरिया,हृदय में सबके,चहुंओर फागुन में।।